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Wednesday, July 23, 2014

Fwd: [GURU VATIKA SE CHUNE PHOOL] Fwd: [ANAND DHAMM] Fw: [GURUVANNI] भावनायें



भावनायें

सृष्टि का आधार है गृहस्त आश्रम और सुखी गृहस्त का आधार है प्रेम एवं सहानुभुति ! घर परिवार में मनुष्य को प्रेम -सहानुभूती चाहिए !भावनायें संबंधों को मजबूत करने में बहुत काम आती हैं , बच्चे के जीवन में माँ बाप के वात्सल्य के बिना बहुत कुछ अविकसित रह जाता है !जहां प्रेम है वहां समर्पण भी है !शादी के समय वर कन्या एक दुसरे को हार पहनाते हैं , अगर उस हार के अन्दर का धागा टूट जाए तो फूल बिखर जाते हैं ! जैसे वह हार नहीं रहता ऐसे ही गृहस्त जीवन प्रेम के धागे से बंधा रहता है और प्रेम टूट गया तो परिवार बिखर गया !घर परिवार में प्रेम नहीं तो व्यक्ति कितना ज्ञानी ,कितना ध्यानी और कितना ही बली और बहादुर क्यों न हो मिट जायेगा !





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Posted By Madan Gopal Garga LM VJM to GURU VATIKA SE CHUNE PHOOL at 7/23/2014 04:06:00 PM

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