|
adsence code
Monday, June 30, 2014
Fwd: [Sarathi] एक बार एक किसान की घड़ी कहीं खो गयी. वैसे तो घडी...
|
Sunday, June 29, 2014
हर किसी को
Fwd: [Vanprstha Ashram - Old Age Home] Fwd: [ADHYATMIK] सत्ता की चाह में
संग्रह के रोग
Wednesday, June 25, 2014
tulsi
____________________________________________________
तुलसी एक ऐसा पौधा है जो कई तरह के अद्भुत औषधिय गुणों से भरपूर है। हिन्दू धर्म में तुलसी को इसके अनगिनत औषधीय गुणों के कारण पूज्य माना गया है। यही कारण है कि हिन्दू धर्म में तुलसी से जुड़ी अनेक धार्मिक मान्यताएं है और हिन्दू धर्म में तुलसी को घर में लगाना अनिवार्य माना गया है।आज हम बात कर रहे हैं तुलसी के कुछ ऐसे ही गुणों के बारे में....
- मासिक धर्म के दौरान कमर में दर्द हो रहा हो तो एक चम्मच तुलसी का रस लें।इसके अलावा तुलसी के पत्ते चबाने से भी मासिक धर्म नियमित रहता है।
-बारिश के मौसम में रोजाना तुलसी के पांच पत्ते खाने से मौसमी बुखार व जुकाम जैसी समस्याएं दूर रहती है।तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है।मुंह के छाले दूर होते हैं व दांत भी स्वस्थ रहते हैं।
- सुबह पानी के साथ तुलसी की पत्तियां निगलने से कई प्रकार की बीमारियां व संक्रामक रोग नहीं होते हैं।दाद, खुजली और त्वचा की अन्य समस्याओं में रोजाना तुलसी खाने व तुलसी के अर्क को प्रभावित जगह पर लगाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर हो जाता है।
- तुलसी की जड़ का काढ़ा ज्वर (बुखार) नाशक होता है।तुलसी,अदरक और मुलैठी को घोटकर शहद के साथ लेने से सर्दी के बुखार में आराम होता है।
Tuesday, June 24, 2014
Fwd: खुशी
From: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
Date: 2014-06-23 12:20 GMT+05:30
Subject: खुशी
To:
Visit Daily BLOGS For MORE POSTINGS
Monday, June 23, 2014
Tuesday, June 17, 2014
Saturday, June 14, 2014
Fwd: [Deciples-of-Sudhanshujimaharaj] Fwd: [AMRIT VANI ] छमा से
Reply via web post | Reply to sender | Reply to group | Start a New Topic | Messages in this topic (1) |
Friday, June 13, 2014
Fwd: [Deciples-of-Sudhanshujimaharaj] Fwd: [AMRIT VANI ] जीवन को गतिशील
Reply via web post | Reply to sender | Reply to group | Start a New Topic | Messages in this topic (1) |
Fwd: [Deciples-of-Sudhanshujimaharaj] Fwd: [Sarathi] स्वभावेन हि तुष्यन्ति देवा: सत्पुरुषा: पिता।...
Reply via web post | Reply to sender | Reply to group | Start a New Topic | Messages in this topic (1) |
Fwd: [Deciples-of-Sudhanshujimaharaj] sugandh
jisprakaar
Reply via web post | Reply to sender | Reply to group | Start a New Topic | Messages in this topic (1) |
Tuesday, June 10, 2014
याद रखना
Saturday, June 7, 2014
Friday, June 6, 2014
Fwd: [AMRIT VANI ] Fwd: Whatapp
From
We need 'Strength' while doing the Possible.
But,
We need 'Faith' while doing the Impossible...
Once Buddha was traveling with a few of his followers.
While they were passing a lake, Buddha told one of his disciples, "I am thirsty. Do get me some water from the lake."
The disciple walked up to the lake.
At that moment, a bullock cart started crossing through the lake.
As a result, the water became very muddy and turbid.
The disciple thought, "How can I give this muddy water to Buddha to drink?"
So he came back and told Buddha, "The water in there is very muddy. I don't think it is fit to drink."
After about half an hour, again Buddha asked the same disciple to go back
to the lake.
The disciple went back, and found that the water was still muddy.
He returned and informed Buddha about the same.
After sometime, again Buddha asked the same disciple to go back.
This time, the disciple found the mud had settled down, and the water was clean and clear.
So he collected some water in a pot and brought it to Buddha.
Buddha looked at the water, and then he looked up at the disciple and said,
" See what you did to make the water clean. You let it be, and the mud settled down on its own, and you have clear water."
Your mind is like that too ! When it is disturbed, just let it be. Give it a little time. It will settle down on its own.
You don't have to put in any effort to calm it down.
It will happen. It is effortless."
Having 'Peace of Mind' is not a strenuous job, it is an effortless process👌so keep ur mind cool and have a grt life ahead...😊
--
Posted By Madan Gopal Garga LM VJM to AMRIT VANI at 6/06/2014 10:01:00 AM
Fwd: Whatapp
We need 'Strength' while doing the Possible.
But,
We need 'Faith' while doing the Impossible...
Once Buddha was traveling with a few of his followers.
While they were passing a lake, Buddha told one of his disciples, "I am thirsty. Do get me some water from the lake."
The disciple walked up to the lake.
At that moment, a bullock cart started crossing through the lake.
As a result, the water became very muddy and turbid.
The disciple thought, "How can I give this muddy water to Buddha to drink?"
So he came back and told Buddha, "The water in there is very muddy. I don't think it is fit to drink."
After about half an hour, again Buddha asked the same disciple to go back
to the lake.
The disciple went back, and found that the water was still muddy.
He returned and informed Buddha about the same.
After sometime, again Buddha asked the same disciple to go back.
This time, the disciple found the mud had settled down, and the water was clean and clear.
So he collected some water in a pot and brought it to Buddha.
Buddha looked at the water, and then he looked up at the disciple and said,
" See what you did to make the water clean. You let it be, and the mud settled down on its own, and you have clear water."
Your mind is like that too ! When it is disturbed, just let it be. Give it a little time. It will settle down on its own.
You don't have to put in any effort to calm it down.
It will happen. It is effortless."
Having 'Peace of Mind' is not a strenuous job, it is an effortless process👌so keep ur mind cool and have a grt life ahead...😊
Thursday, June 5, 2014
Wednesday, June 4, 2014
Fwd: Whatapp
पांच महत्पूर्ण नियम: (1) घर में बनने वाले मकड़ी के जाले तुरंत हटा दें इनसे आपके अच्छे दिन बुरे दिनों में बदल सकते हैं।
(2) पूजा में चढ़े हुए और मुरझाए हुए फूल घर में नहीं रखें इनसे अशुभ फल मिलता है।
(3) पुराने या टूटे हुए जूते-चप्पल आपको आगे बढऩे से रोक देते हैं। इन्हे घर से निकाल दें।
(4) गाय को कभी भी भूलकर अपनी जूठन नहीं खिलानी चाहिये, गाय साक्षात् जगदम्बा है
(5) यदि नियमित रूप से घर की प्रथम रोटी गाय को तथा अंतिम रोटी कुते को दें तो आपके भाग्य के द्वार खोलने से कोई नही रोक सकता !
Fwd: Watap
ॐ जय गुरूजी ੴ
तेरी चौखट पे आना मेरा काम था....
मेरी बिगड़ी बनाना तेरा काम है।
छोड़ दी किश्ती मैंने तेरे नाम पर.....
अब किनारे लगाना तेरा काम है।।
सुप्रभात मित्रों !!
Fwd: Whatap
प्रत्येक लाइन गहराई से पढ़े-
✅ गरीब दूर तक चलता है..... खाना खाने के लिए......।
✅ अमीर मीलों चलता है..... खाना पचाने के लिए......।
✅ किसी के पास खाने के लिए..... एक वक्त की रोटी नहीं है.....
✅ किसी के पास खाने के लिए..... वक्त नहीं है.....।
✅ कोई लाचार है.... इसलिए बीमार है....।
✅ कोई बीमार है.... इसलिए लाचार है....।
✅ कोई अपनों के लिए.... रोटी छोड़ देता है...।
✅ कोई रोटी के लिए..... अपनों को छोड़ देते है....।
✅ ये दुनिया भी कितनी निराळी है। कभी वक्त मिले तो सोचना....
✅ कभी छोटी सी चोट लगने पर रोते थे.... आज दिल टूट जाने पर भी संभल जाते है।
✅ पहले हम दोस्तों के साथ रहते थे... आज दोस्तों की यादों में रहते है...।
✅ पहले लड़ना मनाना रोज का काम था.... आज एक बार लड़ते है, तो रिश्ते खो जाते है।
✅ सच में जिन्दगी ने बहुत कुछ सीखा दिया, जाने कब हमकों इतना बड़ा बना दिया।
जिंदगी बहुत कम है, प्यार से जियो
Fwd: WHatap
राधे राधे,
आज का भगवद चिन्तन,
भोगी के लिए वन में भी भय है , योगी के लिए घर में भी वन जैसा आनन्द है। जो विकार मुक्त हो चुका है वह हर जगह शांति का अनुभव करेगा। श्री कृष्ण कहते हैं कि तुम केवल वाहरी चीजों को बदलने में लगे रहते हो , अंतस को बदलने का कभी भी प्रयत्न नहीं करते।
कर्म करते समय संसार जैसा व्यवहार करो पर चेतना इतनी सम्पन्न हो कि भीतर से हम ज्ञान की असीम ऊंचाइयों पर हों। जैसे पतंग उड़ाने वाला डोरी अपने हाथ में रखता है और पतंग उलझने पर तुरंत अपने पास खींच लेता है। ज्ञान युक्त विचारों से कर्म करोगे तो कहीं उलझोगे ही नहीं।
परम तत्व का हर क्षण स्मरण करो , वो ही तो सब कुछ करा रहा है और करने के लिए प्रेरित कर रहा है। ये पवित्र विचार, भगवद चिन्तन, अच्छे कर्म , गौ सेवा , नाम स्मरण , संत सेवा , उस परम की कृपा से ही तो सब हो रहा है। अपने को कर्ता और कारण मत मानो, प्रभु की कृपा अनुभव करो।
संजीव कृष्ण ठाकुर जी (वृन्दावन)
Har saans
Har saans mein ho simran tera; yoon beet jaye jeevan mera teri puja kartey beetey saanjh savera; yoon beet jaye jeevan mera naino ki khidki se tumko pal pal mein niharoon mann mein bithaloon teri arti utaroon; Daale rahoon tere charanon mein dera, yoon beet jaye jeevan mera ! Guruvar ke charanon mein Naman Naman Naman! |
haathon ko
|
Binaa Dharti ki Urvaraa ke Beej phal nahi sakta. Apne Udgam ko bhool na jaana, Un haathon ko bhool na jaana, jinhone aapko saheja hai sambhala hai. |